ख़ामोशी से दिल का हाल जान लेना, हर बार बोल देना मुनासिब नहीं, हिजर की आग ने जलाए रखा है, हर बार मुस्कुरा देना मुनासिब नहीं।
तमाम उम्र लुटते आये, ज़िंदगी ने बहुत दिया गवाने के लिए।
ज़रा सा मुस्कुरा क्या दिए तो तकलीफ़ होती है, ये दुनिया ज़ख़्म देने में माहिर होती है।
फ़ना हो जाएं जब सारी हसरतें, तब दिलासों से काम नहीं चलता, बार बार क्यूं कुरेदते हो दिल को, ज़ख़्म जब नसूर बन जाए, तब मरहम कोई काम नहीं करता।
तुरिश्तों के लिबास उतरते देखे हैं, हमने पल में अपने बदलते देखे हैं।
किस्मत से कोई शिकायत नहीं, बदलती ज़रूर है पर बेवफ़ा नहीं होती।
पलकें मासूम होती हैं चलक जाती है ज़रा सी बात पर, दिल की बेबसी अक्सर आँखों से ही छलका करती है।
हर इंसान मजबूरी का फ़ायदा उठाने लगा, यूं लगता है के हम यहाँ रहने के काबिल नहीं।
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