ये दिल फ़सानो में जीया है,
हक़ीक़त कहाँ जानता है,
फूलों की ख्याहिश रखता है,
कांटो की चुंबन कहाँ जानता है.
आज नज़रें चुरा रहे हो, कल नज़रें मिलाने को तरसोगे, कल जब हम नहीं होंगे, तब हमसे मिलने को तड़पोगे.
जो अंदर से टूटा है,
वो बाहर से मुस्कुराये क्या,
जो खुद ग़म में डूबा है,
वो महफिलें सजाये क्या.
बहते आसुओं को ठिकाने लगा लूँ मैं,
है ज़ख्मों से सना सीना,
थोड़ा मरहम लगा लूँ मैं,
इस बहशत के दौर में रुसवाई क्या डर,
अपनी बर्बादियों का जशन मना लूँ मैं.
हिज़र की आग से दिल जलता है, एक पल में कितनी दफा मरता है.
कुछ ग़म हमने उदार समझ के रखे थे, वोह संभाले रखे हैं लौटा तो नहीं सकते ना.
बहुत मिल जायेंगे बेहतर हमसे, बस इस बार जिस से दिल लगाना उसी ने निभाना.
मतलब पूरा होने पर हिसाब कर दिया जाता है, मोहब्बत में दगाबाजों की कोई कमी नहीं.
इधर से बन रहा है उधर से डेह रहा है,
राख़ का डेर है यां कोई ज़िन्दगी सी है.
ये दौर दर्द का है दर्द में रहने दो यारो,
हमें गिला नहीं है किसी हमें तनहा रहने दो यारो.
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