मैंने देखा था मोहब्बत का वह पहला मंजर,
जब नज़र उसने मिलायी, मेरी नजर के साथ..!
बैराग-ऐ-उल्फत मैं मिला हमको,
चाहत ये तेरी नया अफसाना लिख गयी..!
मैं तुम्हारे चाँद होने का दावा तो नहीं करता,
पर दावा है मेरा, तुम्हें देख कर चाँद भी रशक करता होगा..!
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मैं हर दफा करता रहता हूँ, अपने दिल से तुम्हारी बुराई, मगर ये कम्बखत, मुझसे ही दुश्मनी निभाता है..!
तुम्हारी खुशामद के इलावा और कुछ नहीं आता,
ऐ दिल ये किस दौर से गुज़र रहा हूँ मैं..!
नशा-ऐ-इश्क़ मैं तो हम डूबे रहते हैं,
मैखान-ऐ-शराब अब हमारे किस काम की..!
फ़िज़ा से महकती खुसबू की बरसात हो जाये,
मेरा यार आये तो मौसम भी गुले-गुलज़ार हो जाये.
है खेल नहीं ये कोई जिसमें हार जीत होती है, अंजाम कुछ भी हो जनाब मोहब्बत तो मोहब्बत होती है.
यूँ तो दिल की हर बात तुम जानते हो,
तुम हमारी पहली और आखरी मोहब्बत हो,
क्या ये बात भी जानते हो.
दिन रात तेरी तस्वीर से गुफ़तगू करना,
हमने सीखा तुझी से है मोहब्बत करना.