भटकते दिल को राहत मिल जाये, तुम जो आओ ज़िन्दगी की हर ख़ुशी मिल जाये.

हम मुसाफिर के जैसे चलते रहे, और दिल था कहीं और ही ठहरा हुआ.

कहने को सारा आसमान अपना है, पर तेरी चाहत ने ज़मीन से जोड़े रखा है.

कैद हैं वो लम्हें जो कहीं सीने में, आज भी उनकी खुसबू से ये सांसें महक जाती हैं.

लफ़्ज़ों से कह दूँ ऐसी हालत तो नहीं, तुम्हारे बिन इस दिल को को कोई राहत तो  नहीं.

मेरे दिल के आईने में तेरी तस्वीर रहे, तू सवा लाख जनम तक मेरी हीर रहे.

तुझे नहीं पता हम तुम्हें कितना MISS करते हैं, तेरे ही दम पे जीते हैं और तुझपे ही मरते हैं.

मोहब्बत होना ना होना अलग बात हैं, पर तेरी चाहत ने हमें अपने दिल से मिला दिया.

जिन लम्हों में तेरी सूरत नज़र आती है, उन लम्हों से मेरी ज़िन्दगी खिल जाती है.

वो इश्क़ ही क्या जिसमे तड़फ ना हो, वो आलम भी क्या आलम के जिसमे तुम ना हो