खुदा की बंदगी जैसे रूह को सुकून लाती है, ऐसे ही तेरी एक आहट से ये जिन्दगी सवर जाती है।
जो दिल कहता है, लफ़ज़ कह नहीं पाते कैसे बयाँ करें कि हम तेरे बिन रह नहीं पाते |
कितनी खूबसूरत ये दुनिया लगने लगी है, जबसे इस दिल पर काबिज़ तू रहने लगी है।
सारी जिन्दगी हम नींद में रहेंगे, तुम एक बार सपनों में आने का वादा तो कर।
इन फूलों का क्या करें हम, जिन्दगी जब तुमसे महकती है।
है फुर्सत का भी और फुर्क़त का आलम है, खाली ये दिल है और तू इसमें शामिल है ।
ना जाने कितनी शामों का रंग हो तुम, हमारे पास न होकर भी संग हो तुम, दूर होने की इजाज़त ये दिल कैसे दे भला, बेरंग सी इस जिन्दगी में रंगत हो तुम।
जब कोई भी हमसे मुस्कुराने की वजह पूछता है, अचानक से तुम्हारा चेहरा तब सामने आ जाता है।
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