ग़लतफहमी मत पालना के तुम्हारे बिना मर जाएंगे, ज़िंदगी से भी मोहब्बत है एक तू ही आख़िरी नहीं .
वमोहब्बत से अच्छी तो मौत है, जब आती है तो साथ ही जाती है .
आज भी तुम्हारे तोहफ़ों से ख़ुशबू सी आती है, यह काफ़ी है ज़िंदगी महकाने के लिए ..
यूँ तो बिछड़ना तक़दीर रहा लेकिन, तेरी आरज़ू ने हमारा साथ नहीं छोड़ा.
हर सांस हमसे मुआवजा चाहती है, गलती जो तुझसे दिल लगाने की कर चुके हैं.
जिन्दा खुअहिशों को दफ़नाया है, हमने तो बर्बादी का भी जशन मनाया है।
अब तो अकेले रहना ही मुनासिब है, आजकल जो साथ देते हैं, वोही दगा देते हैं.
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