तुम आना कभी मौसम-ए-बहार बन के, दिल का मौसम पतझड़ में डूबा रहता है..!

तुम एक बार मुस्कुरा दो, तुम्हारे क़दमों में जन्नत रख देंगे, चाँद से चाँदनी उदार लेकर, तुम्हारी दुनियां रोशन कर देंगे.

मुस्कुराना उनकी अदा में ही शामिल था, गुस्ताखी तो हमारा दिल कर बैठा, अपनी तमाम-उम्र को गिरवी रख कर, बस सिर्फ उनके मुस्कुराने की ज़िद कर बैठा.

तुम्हारी सूरत खुदा की मूरत है जैसे कोई, सारी कायनात जैसे तुझी में सिमट के रह गयी.