मुस्कुराने की आदत डाल रहे हैं हम,
सिर्फ तेरा गम भुलाने के लिये.
हर तरफ है उजाला,
फिर भी रौशनी नहीं है,
यूँ तो हासिल सब होकर भी,
सकूँ कहीं नहीं है.
यूँ तकती रहती हैं आकाश में निगाहें,
जैसे किसी अपने की तलाश में हों जैसे,
एक कब्रिस्तान में घर की तलाश में,
जो शक़श देखा उसे तनहा पाया.
खुद ही सवारा तुमने,
खुद ही बिगाढ़ा तुमने,
अरे हम तो देखते ही रह गये,
कब उजाड़ा तुमने.
तुम्हारी बेवफाई तुमसे जयादा वफादार निकली,
तुम जितने दूर हो ये उतनी ही करीब है.
जब रिश्ता नया था,
तो वो हमसे बात करने के बहाने ढूँढ़ते थे,
और जब रिश्ता पुराना होने लगा तो,
तो वो दूर जाने के बहाने ढूँढ़ते हैं.
आँखें अश्क़ों से रोती हैं,
और दिल जज्बातों से रोता है,
इस इश्क़ का अंजाम तो आखिर यही होता है.
एक बात हमेशा याद रखो,
जो ज़िन्दगी में सबसे ज्यादा हसाता है,
ज़िन्दगी में सबसे ज्यादा रुलाता भी वही है.
आँखें नम होने पर भी मन हल्का नही होता,
ग़म कितना भी बाँट लो कभी कम नहीं होता,
जैसे डूबी हुयी कश्ती का कभी साहिल नहीं होता,
टूट जायें जब शाखों से पत्ते उनका कोई घर नहीं होता.
यूँही तनहा रहती हैं रातें अपनी,
और दिन गुज़रता है तेरे जिकर से.