खुआहीशों की शाम बाकी है दिल की बात अभी बाकी है, है जन्नत से हमारा क्या लेना देना, दिल पे तेरा नाम काफी है.

तेरे वजूद पे हम ज़िंदा है, तू हर पल हमारे साथ मौजूद है, दिल पे छा रहा है तेरा ही जादू, चढ़ के भी जो ना उतरे, ऐसा तेरा सरूर है.

कुछ निगाहों ने गुस्ताखी की, कुछ दिल ने तम्मना की, इस चाहतों के दौर में, ये दिल अब दर बदर भटक रहा है.

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मुस्कुराना उनकी अदा में ही शामिल था, गुस्ताखी तो हमारा दिल कर बैठा, अपनी तमाम-उम्र को गिरवी रख कर, बस सिर्फ उनके मुस्कुराने की ज़िद कर बैठा.

चाँद का रक्षक खाना तो बनता है, मेरा यार जब सजता सवरता है, उसकी निगाहों में जैसे जन्नत है, मेरा यार खुदा के जैसे लगता है.

हर फिजा में तेरी रंगत है, सब जहाँ से प्यारी तेरी संगत है, तू ना हो तो सब बेज़ार है, तेरे होने से ही हमारी जन्नत है…!

हर बात का ज़िकर शिकायतों से करते हो, तुम बताओ किस हद तलक हमसे मोहब्बत करते हो..!

बिन तेरे हर मंज़र खुशगवार ना होगा, सजा होगा जीना मेरा गर तू साथ ना होगा..!

कागज़ के फूल जैसे खुसबू नहीं करते, जो रूह तलक ना हो उसे मोहब्बत नहीं कहते..!

रातभर जागते रहे हम, तेरे तसब्बुर के साथ, ऐसी दिल्लगी की दिल ने हमारे साथ…!