बुरा वक़त देख कर बदल जाती हैं नज़रें,इस जहाँ में हर किसी के पास किरदार नहीं होता,फितरत रही है ज़माने की दगा देना,हर चाहने वाला यहाँ वफादार नहीं होता..!
वक़त बता देता है कौन अपना है कौन पराया,किसने साथ छोड़ा किसने अपनाया,कौन अपना बना कौन पराया,किसके हिस्से में कितनी ख़ुशी,और किसके हिस्से में कितना ग़म आया..!
वक़त के साथ साथ दूरी बनाना,तुमने भी सीख ही लिया आखिर,मौकापरस्ती का है ना आज कल ये ज़माना..!
कितना भी वक़त से भाग लो तुम,ये वक़त तुम्हारी खुअहिशों से भी तेज़ दौड़ता है..!
एक उम्र गयी हमारी इस ज़माने से गए,ग़ालिब तेरे शहर से कई और दीवाने गए..!
Fiएक उम्र गयी हमारी इस ज़माने से गए,
ग़ालिब तेरे शहर से कई और दीवाने गए..!
वक़त देता नहीं साथ तो किसी से क्या उम्मीद रखना,फ़िज़ूल है यहाँ किसी पर अपना वक़त बर्बाद करना..!
हम गुज़रा वक़त नहीं जो यादों से मिट जायेंगे,कितना भी बुलाने की कोशिश करलो उतना ही याद आएंगे..!