कुछ दर्द दिल में यूँ घर बना कर बैठ गये, और हमें जरूररत भी ना किसी पनाह की रही.

सवाल जितने गहरे होते हैं, जवाब उतने ही आंसा होते हैं.

हमें भी आदत नहीं थी बदल जाने की, तुम यूँ बदले तो हमें भी बदलना आ गया.

यूँ तो दुश्मनों की कमी ना थी अब तलक, लेकिन तुमसे अब दुश्मनी निभाने को दिल चाहता है.

सांसों की किश्तों का चुकाना तो बनता है, ग़म इतना जो है मुस्कुराना तो बनता है.

महफ़िल भी वोहीं हैं लोग भी वोहीं हैं, सब हैं तुम्हारे पास बस हम अब नहीं हैं, हमारे याद भी आये तो मुस्कुरा ही देना, हमें याद कर कोई बेवजह रोये हमें पसंद नहीं हैं.

हाल तो यूँ हैं सारा आसमाँ अपना हैं, और पैरों के नीचे दो ग़ज जमीं नहीं, चल तो रहें है यहाँ ये कदम ले जायें, पर कहाँ है जाना यही मालूम नहीं.

जज्बात तों हैं मगर बोलने की हिम्मत नहीं, गिला करने के लिए अपना बनाये ऐसी चाहत नहीं, तुमने बता ही दिया कितनी जल्दी हैं तुम्हें, हम भी जहां से खुद को रोक पायें इतना जरूरी नहीं.

Thanks For Watching. 

For more updates visiit our website.