दिल से उसका रिश्ता गहरा कुछ ऐसे,
रूह में उतरा समंदर के जैसे,
मन में बसा है मंदिर के जैसे,
है रुतबा उसका कायनात के जैसे.
दिल से उसका रिश्ता गहरा कुछ ऐसे,रूह में उतरा समंदर के जैसे,मन में बसा है मंदिर के जैसे,है रुतबा उसका कायनात के जैसे.
तुम्हारे हर ग़म हमारे हिस्से आ जायें,
यही खुआहीश बस हम रब से मांगते हैं,
तुम वो चाँद हो जिससे रोशन है दुनिया हमारी,
तुम हमें अपना मानो या ना मानो,
हम तो तुम्हें अपना सब मानते हैं.
तुम्हारे हर ग़म हमारे हिस्से आ जायें,यही खुआहीश बस हम रब से मांगते हैं,तुम वो चाँद हो जिससे रोशन है दुनिया हमारी,तुम हमें अपना मानो या ना मानो,हम तो तुम्हें अपना सब मानते हैं.
तुम ख़ुश्बू बनके,
ज़िन्दगी में गुल गये कुछ ऐसे,
जीवन इतना महकने लगा है,
ये दिल अब ज्यादा खिलने लगा है.
तुम ख़ुश्बू बनके,
ज़िन्दगी में गुल गये कुछ ऐसे,
जीवन इतना महकने लगा है,
ये दिल अब ज्यादा खिलने लगा है.
इश्क़ को इश्क़ फ़रमाना आ गया,
मोहब्बत को हक़ जताना आ गया,
ताज्जुब क्या हो प्यार को फ़िर,
जब उल्फ़त को दिल बहलाना आ गया.
इश्क़ को इश्क़ फ़रमाना आ गया,
मोहब्बत को हक़ जताना आ गया,
ताज्जुब क्या हो प्यार को फ़िर,
जब उल्फ़त को दिल बहलाना आ गया.
लफ़ज़ों को उदार लेके,
इश्क़ की किश्तें चुकाना,
हमने जीना सीखा ही नहीं तुझ बिन,
हमसे कभी जी ना चुराना.
लफ़ज़ों को उदार लेके,
इश्क़ की किश्तें चुकाना,
हमने जीना सीखा ही नहीं तुझ बिन,
हमसे कभी जी ना चुराना.
हदों से पार जाना इश्क़ नहीं,
इश्क़ तो कायदे से होता है,
रूह को सकूं तभी आता है,
जब किसी से सच्चा प्यार होता है.
हदों से पार जाना इश्क़ नहीं,
इश्क़ तो कायदे से होता है,
रूह को सकूं तभी आता है,
जब किसी से सच्चा प्यार होता है.
हजारों दफा समझाया,
फ़िर भी नहीं मानता है,
दिल तुम्हें अपना मेहबूब,
और हमें अपना दुश्मन मानता हैं.
हजारों दफा समझाया,फ़िर भी नहीं मानता है,दिल तुम्हें अपना मेहबूब,और हमें अपना दुश्मन मानता हैं.
खुआबों से हसींन वो सुबह है,
जो सिर्फ ख़ुआब नहीं उम्मींद बनती है,
हर बार नहीं लेकिन होती तो है आरज़ू मुक़्क़म्मल,
जब एक सूरज की किरन से ये शाम बनती है.
खुआबों से हसींन वो सुबह है,
जो सिर्फ ख़ुआब नहीं उम्मींद बनती है,
हर बार नहीं लेकिन होती तो है आरज़ू मुक़्क़म्मल,
जब एक सूरज की किरन से ये शाम बनती है.
इश्क के काबिल नहीं था,
पर तुमने इश्क के काबिल बना दिया,
मोहब्बत से वाकिफ नहीं था,
पर तुमने मोहब्बत से मिला दिया.
इश्क के काबिल नहीं था,
पर तुमने इश्क के काबिल बना दिया,
मोहब्बत से वाकिफ नहीं था,
पर तुमने मोहब्बत से मिला दिया.
हर बात पे तेरा जिक्र आ जाता है,
कभी ये दिल खफा हो जाता है,
बेखयाली का आलम है हर वक़त,
इस कदर ख़ुद से बेख़बर हो जाता है.
हर बात पे तेरा जिक्र आ जाता है,
कभी ये दिल खफा हो जाता है,
बेखयाली का आलम है हर वक़त,
इस कदर ख़ुद से बेख़बर हो जाता है.