राहों में दुश्वारियों का आना तो तय रहता है हर वक़्त, रास्ते खुद ही ढूंढ लेते हैं जिन्हें मंज़िल तक जाना होता है.
वक़्त नहीं बदलता तो इसके साथ बदल जाना पड़ता है, बंदिशें कितनी भी हों, आगे निकल जाना पड़ता है, हसरतें हावी होती जब सुकून नहीं मिल पाता, लम्हों में बीते हुए ख़्वाहिशों में ढल जाना पड़ता है..|
ना आसान है कुछ भी और ना मुश्किल है, गर सुबह नहीं साथ तो शाम भी कहाँ रुकती है, मुश्किलें तो बहुत आने-जाने वाली हैं सफ़र में, यूँ ही चलते रहें तभी तो फिर मंज़िल मिलती है.
ठोकरें जितनी भी दे दे ज़िंदगी, मुक़ाम हासिल कर ही लेते हैं, जिनके इरादों में जान होती है.
ज़िंदगी में कभी नहीं थकते जो सपनों के साथ-साथ चलते हैं, अपने हौसले और इरादों से ही अपनी दुनिया बदलते हैं, होती है बाज़ुओं में ताक़त जिनके, उन्हें क्या डर फिर हालातों से, बिना रुके, बिना थके वो हर हालातों से सामना करते हैं.
हौसले ही तय करते हैं उड़ान को तेरी, बस निरंतर आगे बढ़, न कर देरी, ख़्वाब देखने का हौसला रख तू बस, मक़ाम तो मिल ही जाएगा मैदान-ए-अमल तक आते-आते.
जिस भी किरदार में हो तो ऐसे निभाना, ना किसी को ग़म देना, ना ही रुलाना.
ग़लतफहमियों से टूट कर बिखरे हुए रिश्ते, वफ़ा की दहलीज़ से होकर ही वापस लौट सकते हैं.
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