बेरुखी से आपकी कोई गिला नहीं हमें, बस इतनी सी शिकायत है हमें, धीरे-धीरे आप जितने खास होने लगे हैं, धीरे-धीरे हम उतने आम होने लगे हैं.
हम तोसाँसों का कर्ज चुकाते आये हैं, ज़िंदगी यूँही लुटाते आये हैं, कितने भी ग़म आये हों इस रास्ते पर, हम यूँही हमेशा मुस्कुराते आये हैं.
ख़्वाहिश थी ख़ुशियों भरे महल सजाने की, लेकिन ग़म और हालातों ने चुन लिया हमें.
चुप चाप ज़िंदगी बसर हो जाये तो क्या है, ना किसी की चाहत ना किसी से गिला है.
सारी दुनिया जुदा हो जाये, तुम जुदा ना होना, तेरा ना होना जैसे जिसम का रूह से जुदा होना..!
तुमने सीखा ही है दगा करना, तुम्हारी रगों में नहीं वफ़ा करना..!
दिल का टूटना और चाँद का डूबना, हर तरफ अँधेरा कर जाता है..!
हमसे बात करलो के हम दोबारा ना मिल पाएंगे, जब तेरी दुनिया से जायेंगे, तो मुकम्मल ही जायेंगे..!
Thanks For Watching.