सिर्फ लफ़्ज़ों से नहीं वो दिल से भी खेलते हैं, जिन्हें जरुरत से ज्यादा दिल जगा दे दी जाती है’

ना जाने क्यूं दिल को चैन नहीं आता , बिन तेरे अब इस से रहा भी नहीं जाता. 

अभी खुआहीशों की शाम बीती नहीं, और आजमाइशों का दौर चला आया.

किसमत को ना-गवार था हमारा एक हो जाना, वरना चाहत में दोनो की कोई कमी ना थी।

तेरी मोहब्बत एक बात सीखा गयी, हम कितने तन्हा हैं अब भी तुम्हारे वगैर। t

जिनके साथ से गम भी अपना सा लगता था, उनके दूर जाने से अब खुशियां भी परायी लगने लगी.

जो ख्याल कल तक मेरे अपने थे, आज उन ख्यालों का हिस्सा तुम बन गये..!

दरिया भी तुम्हारा था और किनारा भी, हमारी डूबने की आरज़ू जो रहे, तो क्या बचा पाओगे तुम हमें..!

कुछ किस्से जो तेरे संग रहे इस दिल की किताब पे, जितने भी भर लो इन्हें, ये दिल खाली ही रहेगा..!

कुछ किस्से जो तेरे संग रहे इस दिल की किताब पे, जितने भी भर लो इन्हें, ये दिल खाली ही रहेगा..!

सकूं उल्फत में मिलता नहीं कभी, गर इसकी जद में आना तो ज़रा सोच समझ कर..!

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