हज़ारों में तुम ही को चुना, इक ये ही हसीं ग़लती हुई हमसे..!

साँसों को इजाज़त नहीं देती ये धड़कनें, यूँ धड़कने लगी हैं अब तुम्हारे इशारों पर..!

वो जो रोज़ हमें देख मुस्कुराते हैं, आजकल उन्हीं के सपने हमें आते हैं..!

हमारे दिल के सारे राज़ ऐसे जान जाते हो तुम, जैसे हज़ारों दफ़ा पहले हमसे मिल चुके हो तुम..!

फूलों की ख़ुशबू के जैसे महकता है दिल तुमने जबसे इसमें अपना ठिकाना बना लिया.!

क़रीब होते हो तो ये समय भी ठहर जाता है, दिल बस लम्हे में क़ैद रहने की ख़्वाहिश करता है..!

उहज़ारों की नहीं सिर्फ एक की ही बात है, ज़िन्दगी से ना कोई गिला गर तू हमारे साथ है…!

तनहा होने की फिर क्या शिकायत करें हम, ज़िन्दगी से फिर क्या गिला जब तुम हो संग..!

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