ख़ुद से जुदा होके ख़ुद से मिलना पड़ा, वफ़ा की राहों से नज़दीकियाँ जब बढ़ी.

मिलना नहीं उन रास्तों से फासला बना लिया, जिन पर अक्सर तुमसे मिला करते थे.

फासलों की दूरी तय करना है, तन्हा ये सफ़र तन्हा तय करना है.

हर बात पे ग़लत होते गये हम, सच की राह पर अपना सब खोते गये हम.

हैं दूरियाँ ये मिट ना पानी कभी, चलो राहों से अलविदा कह दें अब.

जितना कुछ पाया सब गवाँते रहे, हर मोड़ एक नया ज़ख़्म खाते रहे.

सवाल जितने गहरे होते हैं, जवाब उतने ही आंसा होते हैं.

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