हादसों से बस इतनी सी शिकायत है, आये जब आँसू बहाना भी ना सीखा था.
जो काग़ज़ अश्कों ने भिगो दिये, इनपे कैसे कोई नई कहानी लिख दे.
लम्हों में बाँट कर रखने वाले ये नहीं जानते, कि पलों में ये ज़िंदगी गुज़र जाया करती है।
तुम बदल जाओ तो वक़्त का तकाज़ा है, हम बदल गए तो बेवफ़ा हो गये।..!
ख़्वाहिशों की क़ीमत ही चुकाई है अभी तक, वरना तो ज़िंदगी में सकूँ की कोई कमी ना थी.
कभी ज़िम्मेदारी ने बाँधा तो कभी ज़रूरतों ने, हासिल किया जो भी, रहा ना कुछ ख़ाली हाथों के सिवा.
है नहीं इंतज़ार में कोई तो अच्छा है, हमने भी रास्ते बदल दिये कारवां पे आते आते.
ख़ामोशी अक्सर वो सब कह जाती है, जो अल्फ़ाज़ भी बयाँ नहीं कर पाते.
यूँ भी कभी मिल गए तुम अंजान राहों पर, वादा करो देखोगे भी कभी नहीं पलट कर।
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