Sukun shayari In Hindi 2023
Sukun shayari
शायरी हमारे संस्कृति का अभिन्न अंग है, जिसे हम अपनी भावनाओं और अनुभवों को व्यक्त करने के लिए उपयोग करते हैं। शायरी की एक विशेषता यह है कि वह बोलने वाले और सुनने वाले दोनों की भावनाओं को छूती है। हिंदी शायरी भी इसी तरह के भावनाओं को अपनी खासियत से व्यक्त करती है और उसके अंदर गहरी भावनाएं, प्रेम, विरह, उम्मीद और असफलताओं को समेटती है। इसलिए, हिंदी शायरी को एक अद्भुत कला के रूप में समझा जाता है जो हमारे मन, शरीर और आत्मा को संतुष्ट करती है। इस काव्य संग्रह में हम आपके लिए Sukun Shayari सकूँ शायरी से सम्बंदित शेयर लेकर ए हैं, इनका आनंद
उठायें |
सुकून का ठिकाना
सुकून का ठिकाना ढूंढ़ने निकला था ये दिल,
और ज़िन्दगी ग़मो से तालुक करा बैठी.
SUKUN KA THIKANA DUNDNE NIKLA THA YE DIL,
AUR ZINDAGI GHAMO SE TAALUK KARA BETHI.
सकूने-बसर
गर उल्फत में होता सकूने-बसर,
हम वफ़ा के नाम पर कबका बिक गये होते.
GAR ULFAT MEIN HOTA SAKUNE-BASAR,
HAM WAFAA KE NAAM PAR KABKA BIK GYE HOTE.
बेवफा ज़िन्दगी
हम भी चाहते थे सकूँ के पल,
मगर ये ज़िन्दगी हमसे बेवफा निकली.
HAM BHI CHAHTE THE SAKUN KE PAL,
MAGAR YE ZINDAGI HAMSE BEWAFAA NIKLI.
ठिकाना
बैठे हैं सकूं बनके वो हमारे इस दिल में,
और हम उनकी यादों में ठिकाना ढूँढ़ते हैं.
BETHE HAIN SKUN BANKE WO IS DIL MAIN,
AUR HAM UNKI YAADON MAIN THIKANA DOONDTE HEIN.
इबादत
है नज़रें भर सकूँ इस दिल का बढ़ा ताजुब है
ना जाने वो शक्श क्यों लगता है इबादत के जैसा
HAI NAZREN BHAR SKUN IS DIL KA BADHA TAJUB HAI,
NA JANE WO SHAKSH KU LAGTA HAI IBADAT KE JAISA.
इश्क़
क्या इश्क़ में तुम सकूँ चाहते हो,
है फरेब से जड़ा फिर को चाहते हो,
मिलता नहीं सिला यकीं के नाम पर,
छोटी सी ज़िन्दगी से ये क्या चाहते हो.
KYA ISHQ MEIN TUM SAKUN CHAHTE HO,
HAI FAREB SE JADHA PHIR KU CHAHTE HO,
MILTA NHI SILA YAKIN KE NAAM PAR,
CHOTI SI YE ZINDAGI SE KYA CHAHTE HO.
दिल का मकां
मुझे मेरा हाल सकूँ-ए-तलब है,
ना शिकवा है ना कोई रंजिश है,
लम्हों ने भी खेल खेला है,
वीरान है दिल का मकां,
फिर भी उनका बसेरा है.
MUJE MERA HAAL SAKUN-EY-TALAB HAI,
NA SHIKWA HAI NA KOI RANJISH HAI,
LAMHON NE BHI KHEL KHELA HAI,
VEERAN HAI DIL KA MAKAN,
PHIR BHI UNKA BASERA HAI.
हाल-ए-दिल
सकूँ-ए-ज़िन्दगी में ग़म भरकर,
वो पूछे क्यों नहीं बरसती ये निगाहें,
हमने भी हाल-ए-दिल कह दिया के,
मन अपना है समन्दर के जैसे,
यूँ नहीं बरसता ये बादल के जैसे.
SAKUN -E-ZINDAGI MEIN GHAM BHARKAR,
WO PUCHE KU NHI BARASTI YE NIGAHAIN,
HAMANE BHI HAAL-E-DIL KEH DIYA KE,
MAN APNA HAI SMANADAR KE JAISE,
PHIR KU BARSTA RAHE BADAL KE JAISE.
नीलाम
अब जब सकूँ को नीलाम कर आये हो हमारे,
तो हमसे खुशियों का ठिकाना क्या पूछते हो,
जब हक़ीक़त से हमारी रूबरू करा ही दिया तुमने जो,
फिर दिखावे की बस्ती में हमें किस लिए ढूंढ़ते हो.
AB JAB SAKUN KO NEELAM KAR AYE HO HAMAARE,
TO HAMSE KHUSHIYON KA THIKANA KYA PUCHTE HO,
JAB HAQIQAT SE HAMARI RUBROO KARA HI DIYA TUMNE JO,
PHIR DIKHAAVE KI BASTI MEIN HAME KIS LIYE DUNDTE HO.
मोहब्बत
हमेशा परवाह करते रहना उनका जरुरी तो नहीं,
मोहब्बत जितनी भी हो जाये मजबूरी तो नहीं,
है कैद में सकूं दिल का वफ़ा के नाम पर,
बातें जितनी भी होती रहें जरुरी हैं मगर,
मगर हर बात पे मुस्कुराना हमारा जरुरी तो नहीं.
HAMESHA PARWAH KARTE REHNA UNKA JARURI TO NHI,
MOHABBAT JITNI BHI HO JAYE MAJBOORI TO NHI,
HAI KAID MEIN SAKOON DIL KA WAFAA KE NAAM PAR,
BAATAIN JITNI BHI HOTI RAHEN JARURI HAIN MAGAR,
MAGAR HAR BAAT PE MUSKURANA HAMARA JARURI TO NHI.
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